ईशावस्योपनिषद् के परिप्रेक्ष्य में विश्व शांति एवं सद्भाव
Keywords:
विश्व शांति, सद्भाव, उपनिषद्, कूटनीति, जियोपोलिटिकल (वैश्विक राजनीति) , जियोइकोनामिकल (वैश्विक अर्थव्यवस्था), पर्यावरण, कॉप, ग्लोबल साउथ (भूगोलीय दक्षिण)Abstract
वर्तमान परिदृश्य में विश्व शांति और सद्भाव संपूर्ण विश्व के लिए चुनौती बन गया है। कूटनीतिक राजनीति, अर्थव्यवस्था की होड़, भौगोलिक आधिपत्य एवं प्रभुत्व स्थापना की होड़ में पूरा विश्व विभाजित है। ऐसी स्थिति में भारतीय संस्कृति की ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ अर्थात् पृथ्वी को एक परिवार मानने की संकल्पना और उपनिषदीय एकत्व का संदेश ही विश्व शांति और सद्भाव लाने में समर्थ है। यद्यपि आद्यंत उपनिषद् ब्रह्म, जीव, जगत आदि के रहस्यों का उद्घाटन करता है, किंतु इसमें प्राप्त तत्वों एवं दर्शन का हम वर्तमान परिदृश्य में मानव कल्याण हेतु अन्वय करते हुए विश्व शांति एवं सद्भाव को साकार कर सकते हैं। ईशावस्योपनिषद् मानव को सरलतम शब्दों में बंधुत्व का भाव सिखाती है। यह विश्व शांति के लिए अपरिहार्य राष्ट्रों में संतोष के भाव को भी जागृत करने वाले तत्वों को सामने रखते हुए व्यक्तिगत शांति से लेकर विश्व शांति एवं सद्भाव का साकार रूप हमारे समक्ष प्रस्तुत करती है।